प्लांटों के ओपन भाव पर लोड हो रहा सोयाबीन

उज्जैन के करीब प्लांट पर मोटर बिल्टी मंडी वाले कम ही भरते हैं। प्लांटों को व्यापारी ओपन भाव पर सोयाबीन लोड कर भेजते हैं। क्लेम कंडीशन पर भेजा गया सोयाबीन कभी 15 से 20 हजार रुपए प्रति गाड़ी का लाभ दे देता है, लेकिन 4 गाड़ी क्लेम वाली हो जाएं तो 10 से 15 हजार रुपए प्रति गाड़ी का नुकसान भी हो जाता है। उज्जैन मंडी से प्लांटों की सीधी खरीदी होने से मोटर बिल्टी के व्यापारी को ऊंचे भाव पर उपज खरीदना पड़ती है। कम लाभ पर गाड़ी लोड करने वाला तो लाभ ले ही नहीं पाता। मिट्‌टी, कचरा, वाशिंग करने के बाद फायदे के चांस कम ही मिलते हैं। जीएसटी लगने के बाद यह व्यापार रिस्की ज्यादा हो गया है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में नई उपज आने के पहले जमकर सट्‌टा चल रहा है। मंडी का सीजन नहीं होने से अब रोज 10-20 हजार रुपए का प्लस-मायनस वायदा डिब्बे में किया जा रहा है। मंडी नीलामी में सोयाबीन 3572 रुपए बिका।

बाजार में बिक रहा गरीबों का सरकारी छाप गेहूं

उज्जैन | सालभर पुराने चने में डंक लगने से व्यापारी सफाई कर मंडी फड़ पर नीलामी में बेचने लगे हैं। टॉप लोकवन गेहूं 2169 रुपए बिका। बारिश में गेहूं व्यापार में लाभ के चांस बने रहते हैं। इस साल ग्राहकी घटने से उज्जैन मंडी से गेहूं का व्यापार कम हो रहा है। चना, गेहूं, चावल भी इस मंडी में बिकने आता है। सरकारी छाप यह सामग्री अाखिर कृषि मंडियों में कैसे बिकने आ जाती है। गरीबों को निम्नतम दाम में उपलब्ध कराई जाने वाली यह सामग्री फ्रीगंज, दूधतलाई में बिकने की खबर वर्षों से चह रही है। संबंधित विभाग ने 2-4 बार दबिश देकर ऐसी सामग्री बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की, लेकिन प्रभावशाली दबावों में यह व्यापार मंडी को केंद्र बिंदु बनाकर चलाने की जानकारी है। आटा मिलों को पसंद आने वाला गेहूं तो मिलों से शाइनिंग वाला ही निकलता है। बाजार में इस प्रकार का आटा अच्छी मांग में बिकता है। चर्चित नाम से लोकल में आटा बिक्री के अगले माह के भाव 2100 रुपए से अधिक हैं। इस भाव को लेकर ही खुले बाजार में मिल क्वालिटी गेहूं 2025 रुपए हो गया था जो घटकर 1975 रुपए हो गया।

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